कुछ भ्रष्टाचारी पंचायत प्रधानों के लिए कमाई का जरिया बन रही ‘मनरेगा’
समाचार दृष्टि ब्यूरो/नाहन
लोंगों को घरद्वार पर रोजगार देने के नाम पर संचालित ‘मनरेगा’ योजना के लिए केंद्र सरकार अरबों का बजट मुहैया करवाती है जिसे नियमों के विपरीत कुछ भ्रष्टाचारी पंचायत प्रधानों द्वारा ठीकाने लगा दिया जाता है। हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर की एक पंचायत में करीबन 64 लाख का गड़बड़झाला उजागर हुआ है।जिस पर संबंधित पंचायत प्रधान समेत 5 वार्ड सदस्यों को एक साथ सस्पेंड कर दिया गया है। इससे अन्य पंचायत प्रधानों के भी हाथ पांव फूल गए हैं।
सिरमौर जिला के शिलाई विकास खंड की ग्राम पंचायत अश्याड़ी में पंचायत के विकास कार्यों में वित्तीय अनियमितताओं के चलते प्रधान सहित 6 जनप्रतिनिधियों पर निलंबन की गाज गिरी है। पंचायत में मनरेगा बजट में लीपापोती बढ़ती देख गांव के कुछ लोगों ने इसकी शिकायत डीसी सिरमौर को दी थी, इस पर बीडीओ शिलाई ने प्रारंभिक छानबीन की और 6 सितंबर, 2024 को इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी गई।मामले की गहनता से जांच के बाद ग्राम पंचायत अश्याड़ी में करवाए गए विभिन्न विकास कार्यों में सरकारी धन राशि के दुरुपयोग का मामला सामने आया, जिसमें सीधे तौर पर पंचायत प्रधान को दोषी पाया गया है।
मनरेगा के तहत निर्माणाधीन मोक्षधाम टिंबी, निर्माणाधीन सिंचाई कूहल घराट, सामूहिक रास्ता, लिंक रोड़, एंबुलेंस लिंक रोड, भू-संरक्षण कार्य, वायर क्रेट निर्माण, चैकडैम जैसे कई कार्यों में वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं जिसमें 6381310 की राशी को ठिकाने लगाया गया है।
जिला पंचायत अधिकारी अभिषेक मित्तल के मुताबिक शिलाई विकास खंड की अश्याड़ी पंचायत में मनरेगा के तहत विकास कार्यों के लिए स्वीकृत लाखों के बजट में वित्तीय अनियमितताओं के चलते अश्याड़ी पंचायत प्रधान सहित पंचायत के वार्ड सभी पांच सदस्यों को सस्पेंड किया गया है। उन्होंने बताया कि मंरेगा विकास कार्यों में 63,81,310 रुपए की अनियमितताएं पाई गई है। जिला पंचायत अधिकारी अभिषेक मित्तल ने निलंबित जनप्रतिनिधियों को पंचायत की अचल-अचल संपत्ति को पंचायत सचिव को तुरंत सौंपने के भी आदेश दिए है।