52 वर्षो के बाद एक बार पुनः हो रहा है इस महायज्ञ का आयोजन, दुल्हन की तरह सजाया गया है शिरगुल महाराज का मंदिर
समाचार दृष्टि ब्यूरो/राजगढ़
शिमला व सिरमौर जिले की सीमा पर स्थित सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला क्षेत्र के आराध्य देव शिरगुल महाराज की तपोभूमि चूड़धार पर 11 अक्तूबर को होने जा रहे शांत महायज्ञ पर्व की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई है । वहीँ शिरगुल महाराज के मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है । इसके लिए पांच क्विंटल फूलो का प्रयोग किया गया है।
बता दें कि चुडधार के लिए सड़क की सुविधा नही है और यहाँ पंहुचने के लिए केवल पेदल रास्ते ही है जो सिरमौर जिले के नौहराधार ,हरिपूरधार,बनालीधार ,बथाऊधार व शिमला जिले के संराहा ,पुलबाहल व मढ़ाह लानी से जाते है । और ऐसे मे इस ऐतिहासिक शांत महायज्ञ के लिए प्रबंधको के सामने सबसे बड़ी चुनौती सामान पंहुचाना थी जिसमे हजारो लोगो के लिए बनाए जाने वाले भंडारे के लिए बर्तन ,राशन ,फूल व अन्य सामग्री चुडधार पंहुचाना कठिन कार्य था । मगर शिरगुल भक्तों के लिए शायद कुछ भी मुशिकल नही रहा । चुड़धार में आज से ही लोगो की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है । क्योंकि यहां आमत्रित सभी देवता आज ही पालकी मे सवार होकर चुडधार पंहुच जाएगे और हर देवता के साथ सैकड़ो लोग होगे । मंदिर परिसर मे आज सुबह से ही मंदिर के शुद्विकरण के लिए अनुष्ठान व हवन यज्ञ आंरभ हो गए है ।
जानकारी के अनुसार नौहराधार से लेकर चूड़धार तक पुलिस के जवान तैनात रहेंगे। नौहराधार और नौहराधार से ऊपर चाबधार में पार्किंग की व्यवस्था की गई है। बता दें कि शिमला, सोलन, सिरमौर और उत्तराखंड के जौनसार-बाबर क्षेत्र का यह बड़ा त्यौहार है। इसमें भारी संख्या में लोगों के आने की आस है। यहां चूड़धार मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य 20 वर्षों से चल रहा था, जो अब पूरा हो चुका है। इसे लेकर यह आयोजन हो रहा है। यहां हर क्षेत्र से शिरगुल देवता की लगभग बारह पालकियां शोभायात्रा में शामिल होंगी। इस महायज्ञ का संचालन ‘खूंद’ समुदाय के हाथों सौंपा गया है जो खश जाति की एक वीर शाखा है। इस कार्यक्रम में 30 हजार लोगों के जुटने की उम्मीद है।
एस.डी.एम सुनील कायथ के अनुसार कि शिमला के चौपाल व सिरमौर के नौहराधार में व्यवस्था बनाने के लिए करीब 100 से 150 पुलिस जवानों की तैनाती होगी। इसके अलावा चूड़ेश्वर सेवा समिति के स्वयंसेवी अलग से होंगे। ठहरने की व्यवस्था के लिए तहसीलदार चौपाल रेखा शर्मा और खंड विकास अधिकारी विनीत ठाकुर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।चौपाल की तहसीलदार रेखा शर्मा ने बताया कि 10 अक्तूबर को करीब 5 हजार लोग पहुंचने का अनुमान है। जबकि 11 अक्तूबर को यह संख्या 20 से 30 हजार का आंकड़ा पार कर सकता है। शिमला, सोलन, सिरमौर और उत्तराखंड के जौनसार-बाबर क्षेत्र का सबसे भव्य धार्मिक आयोजन होने वाला है चुडेश्वर सेवा समिति चूड़धार के प्रबंधक बाबू राम शर्मा के अनुसार इससे पहले यहाँ 1972 में शांत महायज्ञ का आयोजन हुआ था । और 52 वर्षो के बाद एक बार पुनः इस यज्ञ का आयोजन हो रहा है शांत महायज्ञ की तारीख नजदीक जैसे-जैसे तारीख नजदीक आ रही है प्रशासन की चिंता भी बढ़ती जा रही है । क्योंकि चोटी पर उमड़ने वाले जनसैलाब की कल्पना तक कर पाना कठिन हो रहा है। वैसे तो ये प्राचीन धार्मिक पर्यटक स्थली शिमला-सिरमौर जिला की सीमा पर है, लेकिन यहां की व्यवस्था की शिमला प्रशासन द्वारा देखी जाती है।
भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले आराध्य देव शिरगुल जी महाराज का चूड़धार मे प्राचीन मंदिर था । इस प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य पिछले लगभग 20-22 वर्षों से चल रहा था, जो अब पूरा हो चुका है। मंदिर की लकड़ी की अद्भुत नक्काशी हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कारीगरों द्वारा की गई है। ये धार्मिक स्थल के भव्य रूप में चार चांद लगा रही है। यहाँ आसपास के क्षेत्रो से शिरगुल देवता की बारह पालकियां शोभायात्रा में शामिल होगी। शायद, ऐसा भी यहां पहली मर्तबा हो रहा है। यह महायज्ञ धार्मिक आस्था और परंपराओं के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति का भी प्रतीक है, जिसे सफल बनाने के लिए हजारों श्रद्धालु और सेवक मिलकर कार्य कर रहे हैं। इस शांत महायज्ञ के आयोजन में चूड़ेश्वर सेवा समिति भी चौपाल प्रशासन के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चल रही है। हालांकि तर्क यह दिया जा रहा है कि 11 अक्तूबर को होने वाला शांत महायज्ञ को 52 वर्षों बाद आयोजित किया जा रहा है। लेकिन एक दलील यह भी है कि भव्य मंदिर का निर्माण पहली बार हुआ है। लिहाजा 11 अक्तूबर का दिन हजारों बरस पुरानी चोटी के इतिहास में अनूठा है। महायज्ञ का प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान 11 बजे से एक बजे के बीच कुरुड़ स्थापित करने से शुरू होगा। आपको बता दे कि कुरुड़ एक तरह से मंदिर मुकुट होता है। मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। विशेष तौर पर पांच क्विंटल फूल मंगाए गए हैं। धार्मिक महत्ता के चलते करीब 30,000 से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। मौसम अनुकूल रहने की सूरत में आंकड़ा 30,000 के पार भी पहुंच सकता है। शिमला के चौपाल व सिरमौर के संगड़ाह उपमंडलों में चोटी पर व्यवस्था बनाने के लिए करीब 100 से 150 पुलिस जवानों की तैनाती होगी इसके अलावा चूड़ेश्वर सेवा समिति के वालंटियर्स अलग से होंगे।
पौराणिक मान्यता के अनुसार महिषासुर वध के बाद देवी महाशक्ति का विकराल रूप शांत करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके मार्ग में लेट गए थे। देवी का एक पैर अनजाने में शिव की छाती पर पड़ गया, जिससे वह शांत हो गईं। इसी घटना की स्मृति में शांत महायज्ञ का आयोजन किया जाता है, जो भुंडा उत्सव की तरह होता है। शांत महायज्ञ के आयोजन को लेकर चौपाल, कुपवी, नेरवा और हामल की पंचायतों के लोग सक्रिय हैं। ठहरने की व्यवस्था के लिए तहसीलदार चौपाल रेखा शर्मा और खंड विकास अधिकारी विनीत ठाकुर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, उन्हें प्रताप नेगी, दिनेश भंडारी, नंदराम इक और राजेंद्र झरटा का सहयोग मिलेगा। चूड़धार मंदिर कमेटी के अध्यक्ष एवं एसडीएम चौपाल हेमचंद वर्मा ने महायज्ञ की सफलता के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया है। इसके लिए 16 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। आयोजन के लिए तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। चौपाल की तहसीलदार रेखा शर्मा के अनुसार तमाम तैयारियों को पूरा कर लिया है ।
उन्होंने बताया कि 10 अक्टूबर को करीब 5 हजार लोग पहुंचने का अनुमान है जबकि 11 अक्टूबर को यह संख्या 20 से 30 हजार का आंकड़ा पार कर सकता है। कुरूड़ लकड़ी से बना होता है । और यहाँ शिरगुल महाराज के मंदिर पर मुख्य कुरूड़ के साथ साथ और अन्य छोटे छोटे कुरूड़ में लगाए जा रहे है । ये कुरुड़ कालाबाग नामक स्थान पर पंहुच चुके है । और इनकी अंतिम नक्काशी भी वही पूरी कर ली गई है । और कुरूड़ को जब उस स्थान से उठाया जाता है । फिर उसे कही भी नही रखा जा सकता । और कुरुड़ को शुभ मुहूर्त में उठाया जाता है । इस शांत महायज्ञ का कुरूड़ भी शुभ मुहूर्त में जब कालाबाग से उठाया जाएगा । तो भक्तो द्वारा उसे कंधे पर उठा कर सीधे मंदिर के शिखर पर रखा जाएगा । यहां चूड़धार इतना बड़ा आयोजन पहली बार हो रहा है ।