April 18, 2024 6:01 am

Advertisements

गिरिपार क्षेत्र के बिशु मेले में नज़र आयेंगी “हाटी” समुदाय की पारम्परिक वेशभूषा व ठोडा नृत्य

♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

Samachar Drishti

Samachar Drishti

जौनसार बाबर की तर्ज पर इस बार धूमधाम से मनाएंगे गिरिपार क्षेत्र में बैसाख संक्रांति से शुरू होने वाले बिशु मेले

समाचार दृष्टि ब्यूरो/पांवटा साहिब

सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र में बैसाख संक्रांति से शुरू हो रहे बिशु मेले का आयोजन धूमधाम से किया जाएगा। “हाटी” समुदाय इस दौरान जौनसार बाबर की तर्ज पर ठोडा खेल व पारम्परिक वेशभूषा में समुदाय महिला व पुरुष नज़र आयेंगे।

बता दें कि बैसाख संक्रांति से जिला के गिरिपार क्षेत्र में विभिन्न जगह पर बिशु मेलों का आयोजन हर वर्ष किया जाता है और यह सिलसिला अप्रैल से मई तक चलता रहता है। यह बिशु मेले बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते है, जो कि हमारी प्राचीन संस्कृति के परिचायक है। मजेदार बात यह है कि यहाँ के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बाबर की तहत पूरी तरह मेल खाते हैं।

यह बिशु मेले जिला सिरमौर के गिरिपार के कबाइली क्षेत्र शिलाई, राजगढ़, संगड़ाह, व पांवटा साहिब के तहत गांवों में अलग-अलग तारीखों में आयोजित किए जाते हैं। बिशु मेले जहां लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़े हैं वही, दूसरी ओर गेंहू की फसल कट जाने के बाद एक दूसरे के साथ मेल मिलाप या अपनी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने के लिए यह बिशु मेले आयोजित किए जाते हैं।

गौर करने कि बात यह है कि दोनों ही परंपराओं का अपना ऐतिहासिक महत्व है। इस बार फिर बिशु मेला आयोजन से मेला स्थलों पर रौनक लौटेगी। बैसाख माह की फसल से जुड़ा यह त्यौहार शिमला व सिरमौर में बिशु, किन्नौर में बीस, कांगड़ा में विसोबा तथा चंबा पांगी में लिशु के नाम से जाना जाता है।

जिला सिरमौर में बिशु मेलों के साथ लोगों की धार्मिक आस्थायें जुड़ी हुई है। कई गांव में आज भी प्राचीन समय से चली आ रही परंपराएं जिंदा है। बिशु मेले के आयोजन से तीन-चार दिन पूर्व से ग्रामीणों द्वारा रोज शाम को देवी देवता चिन्ह के झंडे को लेकर ढोल, डमरु को बजाते तथा शिरगुल महाराज व अपने देवी देवता के नाम का जयकारा लगाते हुए मंदिर तक जाते है।

जिस दिन बिशु मेला आयोजित होता है, उस दिन ग्रामीण एकत्रित होकर एक साथ जातर के तौर पर मेला परिसर तक पहुंचते हैं और अपनी प्राचीन परिधानों तथा प्राचीन वाद्य यंत्रों के साथ बिशु मैदान पर माला नृत्य (रासे) धनुष और बाण से ठोण्डा नृत्य (ठोउडे) आदि खेलें जाते है।

बिशु मेला स्थल (जुबड) पर दूर-दराज से पहुंचे बच्चे, युवा-युवतियां, बुजुर्ग व महिलाएं सभी नृत्यों व खेलों का आनंद लेते हैं। आज भी जिला सिरमौर के लोग अपने प्राचीन परंपराओं को जिंदा रखे हुए हैं।

गौरतलब हो कि गिरिपार में प्रसिद्ध तिलोरधार का बिशु मेला, कफोटा बिशु, जाखना का बिशु, कांडों बिशु और सतौन का बिशु मेला, शिलाई, सुईनल, बनौर का बिशु, कांडो का बिशु, गिरनॉल बिशु, टौरू का बिशु, नैनीधार व हरिपुरधार आदि स्थानों के बिशु बड़े धूमधाम से बनाए जाते हैं।

गिरिपार क्षेत्र की कमरऊ पंचायत के युवा व शिक्षित पंचायत प्रधान मोहन ठाकुर ने क्षेत्र के लोगों से इस बार विशु मेलों का पहले की तरह धूमधाम से आयोजन करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि दो साल तक कोरोना के कारण क्षेत्र में सदियों से आयोजित होने वाले विशु मेलों पर विराम लगा था लेकिन इस बार यह परंपरा आगे बढ़ेगी और पूरी परम्पराओं के साथ इन्हें मनाया जायेगा।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
LinkedIn
Email
Print

जवाब जरूर दे

देश में अगली सरकार किसकी
  • Add your answer

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements

Live cricket updates