Advertisements

सिरमौर के मवेशियों में पैर पसार रहा है लंपी त्वचा रोग, जिला के पशुपालक बरतें सावधानी-नीरू शबनम

♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

Picture of Samachar Drishti Media Group

Samachar Drishti Media Group

पशुओं में इस संक्रमण के लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी पशु चिकित्सालय से गोट वैक्सीन अवश्य लगाएं

समाचार दृष्टि ब्यूरो /नाहन

पंजाब व राजस्थान के बाद अब सिरमौर के पशुओं में भी लंपि त्वचा रोग के फैलने की पुष्टि हो चुकी है। यह जानकारी उपनिदेशक पशुपालन विभाग नीरू शबनम ने दी।

उन्होंने बताया कि जिला सिरमौर के राजगढ़ ब्लाक के अंतर्गत नैना टिक्कर व नारग, नाहन ब्लाक के अंतर्गत कालाअंब सैनवाला और शंभूवाला के पशुओं में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। उन्होंने बताया कि यह रोग एक वायरस के चलते मवेशियों में फैलता है इसे गाठदार वायरस एलएसडीवी भी कहा जाता है।

उन्होंने इस वायरस के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि इस वायरस के फैलने से पशुओं को 105 से 107 डिग्री सेल्सियस तेज बुखार हो सकता है। इसके अतिरिक्त पशुओं के शरीर में निशान बनते हैं और बाद में निशान घाव बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि पशुओं के मुंह से लार टपकने शुरू होती है। उन्होंने बताया कि इस वायरस का सबसे ज्यादा संक्रमण गायों में होता है।

नीरु शबनम ने बताया कि पशुपालकों को अपने पशुओं को संक्रमित पशुओं से दूर रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि लंपी त्वचा रोग से पशुओं को बचाने के लिए घर पर ही मौजूद चीजों की मदद से पारंपरिक विधि अपनाते हुए खुराक तैयार करनी होगी। उन्होंने बताया कि पशुपाल कों को यह खुराक तैयार करने के लिए पान के 10 पत्ते, 10ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम नमक व गुड को मिलाने के बाद पीस कर एक खुराक तैयार करनी होगी और उसे न्यूनतम 1 घंटे के अंतराल पर पशुओं को बार-बार खिलाना होगा।

उन्होंने पशुओं को इस वायरस से बचाने के लिए दूसरी विधि का प्रयोग के बारे में बताया कि पशुपाल कों को दो लहसुन, 10 ग्राम धनिया, 10 ग्राम जीरा,तुलसी का पत्ता, तेज का पत्ता, काली मिर्च 10 ग्राम, पान का पत्ता, हल्दी पाउडर 10 ग्राम,चिरायता के पत्ते का पाउडर 30 ग्राम, बेसिल का पत्ता एक मुट्ठी, बल का पत्ता एक मुट्ठी,नीम का पत्ता एक मुट्ठी, गुड सौ ग्राम को पीसकर हर 3 घंटे में पशुओं को खिलाना होगा।

उन्होंने बताया कि यदि किसी पशु को लंबी त्वचा रोग लग जाए तो उसके शरीर में घाव बन जाते हैं और उस घाव को को मिटाने के लिए पशुपालक को कुप्पी का एक मुट्ठी पतानीम का पत्ता, 500 मिली लीटर नारियल व तिल का तेल, हल्दी पाउडर, मेहंदी का पत्तावी तुलसी का पत्ता एक मुट्ठी पता लेकर उसका पेस्ट बनाने के पश्चात 500 लीटर उसमें नारियल अथवा तिल का तेल मिलाकर उबालने के बाद ठंडा कर लें जिसके पश्चात पशुओं के गांव को अच्छी तरह से साफ करने के बाद उस पेस्ट को घाव में लगाएं।

उन्होंने बताया कि पशुओं को पेस्ट लगाने के बाद हाथों को अच्छे से धोए और पशुओं में इस संक्रमण के लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी पशु चिकित्सालय से गोट वैक्सीन अवश्य लगाएं। नीरू शबनम ने जिला के पशुपालकों से इस संक्रमण के प्रति सावधानी बरतने की अपील की है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
LinkedIn
Email
Print

जवाब जरूर दे

[democracy id="2"]
Advertisements

Live cricket updates

error: Content is protected !!