



प्रदेश में नशा तांडव मचा रहा है और चिट्ठा माफियाओं को राजनैतिक संरक्षण मिल रहा है, तीन हफ्ते में नशे के ओवरडोज से चार मौतों का मामला शर्मनाक
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मंडी से जारी एक बयान में कहा कि प्रदेश में नशे का कारोबार अपने चरम पर है और नशा माफिया पूरे प्रदेश में तांडव मचा रहे हैं। वर्तमान में नशा माफिया, पुलिस और राजनीतिक गठजोड़ का मामला सामने आ रहा है, वह बहुत चिंताजनक और शर्मनाक है। प्रदेश में पिछले तीन हफ्तों में नशे के ओवर डोज की वजह से चार युवाओं की दुखद मृत्यु का मामला सामने आ चुका है। जब नशा प्रदेश के युवाओं को इस तरह अपने मकड़जाल में जकड़ रहा है, उस समय में पुलिस और राजनीति से जुड़े साठ से ज्यादा लोगों की नशा माफिया के गठजोड़ से नशे के कारोबार में सहयोग करने का मामला चिंताजनक है।
ऐसे हालात में नशे के खिलाफ लड़ाई को आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है? प्रदेश के लोग किस पर भरोसा करेंगे? इस खबर से प्रदेशवासियों पर क्या बीत रही होगी जो नशे के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ना चाहते हैं। जिनके लोग नशे के मकड़जाल में जकड़े हैं, वह सरकार और पुलिस से क्या उम्मीद कर सकते हैं। यह अविश्वास की स्थिति है और इसका निराकरण होना चाहिए। अभी तक जो तथ्य मीडिया के माध्यम से सामने आए हैं सरकार उसके बारे में साफ–साफ प्रदेशवासियों को बताएं। इस मामले में सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की जा रही है और आगे क्या कार्रवाई की जाएगी, इसके बारे में भी प्रदेशवासियों को जानने का हक है।
मैं विपक्ष का नेता होने के नाते पूरे प्रदेश वासियों की तरफ से मांग करता हूं कि मुख्यमंत्री इस मामले में पूरी स्थिति स्पष्ट करें। साथ ही नशे के खिलाफ सरकार द्वारा की जाने वाली किसी भी प्रभावी लड़ाई में सरकार का साथ देने का वादा भी करता हूं। प्रदेश से नशे की विदाई होनी चाहिए और नशा माफिया का साम्राज्य नष्ट होना चाहिए। इसके लिए विपक्ष सरकार के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है। हम अपने प्रदेश के युवाओं को नशे के मकड़जाल में नहीं फंसने दे सकते हैं। भाजपा नशे के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। 19 जुलाई 2024 को ऊना में आयोजित भाजपा प्रदेश कार्य समिति में नशे के खिलाफ प्रभावी लड़ाई का प्रस्ताव पास किया है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि जब से व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार आई है प्रदेश में नशे का आतंक बेकाबू हो गया है। उसके पीछे नशा माफिया को मिल रहा राजनीतिक संरक्षण है। संरक्षण की वजह से प्रशासन भी कई बार अपना काम ठीक से नहीं कर पाता है। ऐसा एक बार नहीं बार-बार देखने को मिला जब प्रदेश में किसी भी प्रकार की माफिया के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई करने की सोची तो राजनीतिक दखल उसमें आड़े आया। समाचार पत्रों में छपी खबर के अनुसार नशे के खिलाफ काम करने वाली एसआईटी ने बिलासपुर के कांग्रेस नेता के बेटे को गिरफ्तार किया तो प्रदेश में तबादला बंद होने के बाद भी उस पूरी टीम का ट्रांसफर कर दिया गया। टीम का ट्रांसफर करने के लिए कांग्रेस के नेता द्वारा पत्र लिखा गया जिस पर बहुत बड़े नेता द्वारा कार्रवाई की गई। पत्र लिखने वाले नेता के बारे में पूरा प्रदेश जानता है कि उन्होंने किस तरीके से बिलासपुर में न्यायालय के बाहर भाड़े के शूटर से गोली कांड करवाया था।
बद्दी में नशा माफिया के माफिया के खिलाफ तत्कालीन एसपी द्वारा अभियान चलाया गया। जिसके तहत कई नशा माफिया और खनन माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई हुई। उसका नतीजा क्या निकला? महिला एसपी को रातों-रात छुट्टी पर भेज दिया गया। मुख्यमंत्री इस मसले पर भी मीडिया के सामने प्रदेश के लोगों से झूठ बोलते रहे। आखिर माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अधिकारी को रातों-रात क्यों हटाया गया? आज भी प्रदेश के लोग इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं। प्रदेश के लोग जानना चाहते हैं कि सरकार माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों पर इस तरह की कार्रवाई क्यों कर रही है, जिससे ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करने वाले पुलिस अधिकारियों का मनोबल टूटे? इसके पीछे की मंशा मुख्यमंत्री को स्पष्ट करनी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पुलिस, नशा माफिया, और राजनीतिक गठजोड़ की जो बातें मीडिया के माध्यम से हमारे सामने आ रही हैं उसे तो इस व्यवस्था परिवर्तन वाले सुख की सरकार की व्यवस्था से ही आम आदमी का भरोसा उठ जाएगा। इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री इस पूरे प्रकरण पर पूरी बात साफ-साफ रखें और प्रदेश के लोगों को इस बात का भरोसा दिलाएं कि किसी भी सूरतेहाल में एक भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। नशे के कारोबार से जुड़े नशा माफिया और उनका सहयोग देने वाला कोई भी हो उसे बख्शा नहीं जाएगा। प्रदेश के ‘इंस्टीट्यूशंस’ पर प्रदेशवासियों का भरोसा कायम रहना चाहिए और नशे के कारोबारियों के साथ जुड़ा हर आदमी कानून और समाज का अपराधी है, उसकी जगह सिर्फ और सिर्फ जेल है।
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